हम भारतीय वास्तव में कायर हैं | क्या हम कभी आतंकवाद का मुहतोड़ जवाब दे पायेंगे ? शायद कभी भी नहीं| क्यूंकि हम भारतीय ऐतिहासिक रूप से कायर हैं| शायद ये बात लोगों को बुरा लगे पर ये बिलकुल सच है| इतिहास गवाह है इस बात का | जब हमें विश्व में पिछड़ा माना जाता है तो हम तुरंत इतिहास कि गवाही देने लगते हैं, कि प्राचीन काल में हम बहुत आगे थे, ये थे , वो थे | जब हमें technology में पीछे कहा जायेगा तो हम तुरंत इतिहास का हवाला देंगे कि जीरो और दशमलव हमने ही दिया पर हम ये भूल जायेंगे कि हमारे खोखले अहंकार के कारण ये ज्ञान लुप्त हो गया | और अब वास्तविकता ये है के एक दो कौड़ी के सायकिल से ले के अंतरिक्ष यान तक किसी का आविष्कार हमने नहीं किया | जो भी पुराणों में यानो का वर्णन है उसका कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है | आज software के field में जो हल्ला मचा रहे हैं उसका भी आविष्कार हमने नहीं किया | हाँ पर ऐतिहासिक हवाला देकर क्रेडिट जरुर लेंगे | ये इतिहास ही हमें बताता है कि जब जब हमारे ऊपर अत्याचार हुआ है हमने सिर्फ लात ही खायी है , खून बहाया पर डट कर विरोध नहीं किया | अपनी कमजोरियों को ना समझते हुए सहनशीलता और सहिष्णुता का ढोंग करते रहे , कभी भविष्य के बारे में नहीं सोचा | हम कभी भी दूरगामी परिणामों को नहीं देख पाए और आज भी वही कर रहे हैं| तभी तो वो कौमे और आक्रमणकारी लोग ( शक, हून, मंगोल, अरब, तुर्क और मुस्लमान और अंग्रेज ) जो सिर्फ और सिर्फ लुटेरे और वहशी दरिन्देथे हमारे देश में बस कर हमारी अनोखी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट-भ्रस्ट कर हमें ही तहज़ीब और तमीज सिखाने लगे | वो ये भूल गए के वो एक खानाबदोश , असभ्य और बर्बर कबीलाई सभ्यता के थे और हम एक स्थापित, शांतिप्रिय और सभ्य कौम और ये सब भी हमारी कमजोरी से ही हुआ है, और यही इतिहास फिर से दुहराया जा रहा है क्यूंकि हमारे देश का नेतृत्व फिर से वैसे हे लोगों के हाथों में है जो सिर्फ निजी स्वार्थ के कारण देश की सुरक्षा खतरे में डाल रहे हैं| दिक्कत ये है की हम सब आम जनता से लेके राजनीतिज्ञ तक सभी सिर्फ नौटंकीबाज़ हैं और आपस में ही एक दूसरे से राजनीति करेंगे चाहे वो कितना भी गंभीर मसला हो || हमारे देश में सरकारी नौकरी का क्रेज देश सेवा के लिए नहीं बल्कि उस नौकरी में मिलने वाले हरामखोरी के अनगिनत अवसर को ले के है| फिर हम कैसे नेताओं, आर्मी, पुलिस, प्रशासन , intelligence इत्यादि से अपनी और देश की सुरक्षा की गारंटी की उम्मीद रखते हैं क्यूंकि ये सभी भारतीय हैं और भारतीय होने के नाते उन्ही सारी कमियों से ग्रसित हैं( कुछ लोग इसके अपवाद भी हैं पर अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ) जो ऊपर बताई गयी है| तभी तो हम गंगा और यमुना नदियों के किनारे रोज घंटा , शंख बजाते रहे , आरती उतारते रहे, पाखंड करते रहे पर प्रदूषण नहीं दूर कर पाए और उधर अंग्रेज मलेच्छ होते हुए भी THAMES नदी को साफ़ कर लिए और वो भी घंटा , शंख बजाये बिना, आरती उतारे बिना और बिना पुरोहित जी को दक्षिणा दिए | यही एक बुनियादी फर्क है हमारे और विदेशियों में कि अमेरिका में सितम्बर ११ के बाद दुबारा घटना नहीं हुयी| मुझे पता है कि कुछ लोग इसका भी तर्क खोज लेंगे| पर इसी कुतर्क के कारण ही आज हम लतियाये जा रहे हैं क्यूंकि हम थेथर हो चुके हैं अपनी कमजोरी का बहाना खोजते- खोजते | पर ये सब ठीक हो सकता है अगर हम नौटंकी, और पाखण्ड छोड़ दें और हर चीज पर राजनीति करना बंद कर दें | ये बात सिर्फ राजनीतिक पार्टियों पर ही लागू नहीं होती बल्कि आम आदमी के लिए भी ये उतनी ही जरुरी हैं | आखिर कब तक सहेंगे ? ( राजीव श्रीवास्तव, एडवोकेट)
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